राव राजपूतों की उत्पत्ति - शस्त्र एवं शास्त्रों के धनी जागीरदार राव राजपूतों की उत्पत्ति के बारे में यह कथा प्रचलित है कि राव राजपूत को राजपूतों की सहयोगी जाति माना जाता है। कहा जाता है कि पहले ब्राह्मण ही राजपूतो को शस्त्र एवं शास्त्रों की शिक्षा प्रदान करते थे। किन्तु सम्राट हर्षवर्धन के समय ब्राह्मण लोग सम्राट से नाराज हो गए और उन्होंने यह कार्य बंद कर दिया। इसलिए राजपूतो मे से ही एक बुद्धिमान राजपूतों का वर्ग जो कि शस्त्र एवं शास्त्रों दोनों ही विद्या में निपूण थे जो इस कार्य को करने लगे। धीरे-धीरे ऐसे विद्वानों का बहुत बड़ा समूह बन गया, जिससे शासको व राजा-महाराजाओं द्वारा राव राजपूत की पदवी से सम्मानित कर ब्राह्राणों की तरह पूजनीय माना जाने लगा। धीरे-धीरे यह समूह राजपूत से अलग राव राजपूत अलग जाति बन गई। राजस्थान में राव राजपूतों का गौरवशाली इतिहास रहा है। कई राव राजपूत सिरदार राजपूत राजाओं के प्रमुख सलाहकार सहयोगी हुए और राजपूत राजा-महाराजाओं द्वारा उन्हें बड़ी-बड़ी जागीरे देकर विभूषित किया। यह समाज बुद्धिमान, स्वामीमक्ति, उत्तम चरित्रवान व साहित्य सेवी था एवं युद्धस्थल में र...
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